यह बात काफी पुरानी है, उस वक़्त मैं अपने गाँव से दूर रांची में में अपने परिवार के साथ किराये के मकान में रहता था. पापा की पोस्टिंग रांची में थी तो हम लोग वहीं पर साथ में रहते थे.
जिस मकान में मैं रहता था उस मकान का मालिक एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन था. सौ एकड़ जमीन थी उसकी लगभग। घर के आस पास बहुत सारे आम के बगीचे थे और बगीचे से बाहर खेत ही खेत थे. उसमें समय समय पर अनाज उगाए जाते थे।
मैं मकान के सबसे नीचे वाले फ्लोर पर रहता था और मकान मालिक ऊपर के फ्लोर पर रहता था. मकान मलिक के यहां ज्यादा लोग नहीं रहते थे. मकान मालिक व मालकिन, उसका एक लड़का और एक नौकरानी।
नौकरानी जिसका नाम सोनाली था दिखने में बहुत अच्छी थी. उसकी उम्र 25 साल की थी और मैं 21 साल का था. उस समय मेरा कॉलेज शुरू होने वाला था और मैं घर पर उन दिनों फ्री ही रहता था.
एक दिन सुबह जल्दी उठा और बगीचे में घूमने चला गया. जब मैं बगीचे में गया तो अचानक देखा कि सोनाली एक पेड़ के पीछे बैठ कर मूत्र त्याग कर रही थी. जब मैं उसके आगे बढ़ा तो वो हड़बड़ा कर उठी और कपड़े सही करने लगी. वो मेरी तरफ देख कर वो शर्म से पानी पानी हो रही थी और फिर वो चली गई.
उसके चले जाने के बाद मैंने देखा कि जहां वो बैठी थी वहां पर जमीन में पानी के निशान हो गये थे. वो जमीन उसके पेशाब से भीग गयी थी. पता नहीं उसके बाद से मेरे अंदर उस नौकरानी की चूत को लेकर एक कामुकता सी जाग उठी थी.
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अब मैं रोज सुबह जल्दी उठ कर सोनाली को ही देखता रहता था. सबसे पहले घर में वही उठती थी और बगीचे की तरफ का ताला खोल कर काम में लग जाती थी.
मैंने एक दो दिन ध्यान से देखा कि वो रोज बगीचे की तरफ पहले पेशाब करने के लिए जाती थी. जैसे ही पेड़ के पीछे बैठती थी तो मैं समझ जाता था कि वो मूत कर रही है. कई दिनों तक यह बात नोटिस करने के बाद मैं भी ब्रश करने के बहाने बगीचे में पहुंच जाता था ताकि उसको मूतते हुए देख सकूं. उसकी गांड के दर्शन कर सकूं. लेकिन हर रोज ऐसा करना संभव नहीं हो पा रहा था क्योंकि कई बार मैं सवेरे जल्दी नहीं उठ पाता था. लेकिन जिस दिन भी उठता था मैं उसकी गांड के दर्शन जरूर करता था.
जिस दिन मैं उसको नीचे से नंगी नहीं देख लेता था उस दिन मेरे मन में बेचैनी सी रहती थी. मैं उसके हर कार्यकलाप पर नजर रखने लगा था कि वो किस टाइम क्या काम करती है. मेरा ये सिलसिला रोज का बन गया था.
और एक दिन सोनाली को नहाते हुए देख ही लिया। वो हमेशा बाथरूम में नहीं नहाती थी. जब उसके नहाने का टाइम होता तो वो नहाने के लिए हमारे कमरे के पीछे जो स्टोर रूम था, ठीक उसी के पास खुली जगह पर एक हैंड पंप लगा हुआ था, वो उसी पर नहाती थी.
दरअसल वो हैंड पंप बाउंड्री के भीतर में था और बाउंड्री में एक छोटा सा छेद था जिसके ठीक सामने हैंड पंप लगा हुआ था. मैं उसी बाउंड्री के बाहर से ठीक उसी हैंड पंप के सामने वाले छेद से छिप कर उसे नहाते हुए देखा करता था। जब वो नहाती थी तो ऊपर के सारे कपड़े पहन कर रखती थी. बाकी नीचे का कपड़ा खोल कर तौलिया लपेट लेती थी और नहाने लगती थी।
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इस वजह से मैं उसके नीचे के हिस्से को तो नंगा देख पाता था लेकिन उसके चूचों को कभी मैंने नंगा नहीं देखा था. यहां तक कि मैंने उसकी चूत को भी नहीं देखा था क्योंकि वो तौलिया के नीचे से अपनी चूत पर साबुन लगाती थी और वो छेद थोड़ा सा ऊपर की तरफ था. इसलिए पूरा का पूरा नीचे तक का नजारा मुझे दिखाई नहीं पड़ता था. बस मैं इतना देख पाता था कि वो तौलिया को उठा कर नीचे बैठ जाती थी.
मेरा बहुत मन करता था कि उस पार जाकर अभी उसकी चूत को चूस लूं और उसकी गीली चूत की चुदाई कर दूं लेकिन अभी मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं आई थी. मैं बस अपने लंड को हिला कर ही काम चला लेता था. नहाने के बाद वो कपड़े बदलने के लिए उसी स्टोर रूम में जाती थी और दरवाजे को अंदर से बंद कर लेती थी. मैंने उसको कभी बाहर कपड़े बदलते हुए भी नहीं देखा था.
काफी दिनों तक यही अधूरी प्यास का सिलसिला चलता रहा.
अब मैंने दिमाग लगाना शुरू किया और सोचा कि अगर मैं किसी तरह स्टोर रूम के अंदर घुस जाऊं तो मैं उसको शायद कपड़े बदलते हुए भी देख सकता हूं. हो सकता है मुझे उसके पूरे नंगे बदन को देखने का मौका भी मिल जाये. एक दिन इसी फिराक में मैं स्टोर रूम में पहुंच गया यह देखने के लिए कि वहां छिपने के लिए कोई जगह है भी या नहीं.
अगले दिन मैं नजर बचा कर चेंजिंग रूम में घुस गया. उस वक्त सोनाली बाहर नहा रही थी. मैंने रूम में अंदर जाकर देखा कि उसकी ब्रा और पैंटी हैंगर पर टंगी हुई थी. उनको देखते ही मेरा लंड तन गया.
फिर समय न गंवाते हुए मैं वहीं पर चौकी के नीचे छिप गया. मैं उसके आने का इंतजार करने लगा. हर रोज की तरह ही सोनाली नहाने के बाद अंदर रूम में आई और उसने दरवाजा बंद कर लिया. मगर इधर मेरा पूरा शरीर कांपने लगा. मुझे डर था कि कहीं कुछ गड़बड़ हो गई लेने के देने पड़ जायेंगे.
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मैंने देखा कि उसने अपने गीले कपड़े एक एक करके अपने बदन से अलग करने शुरू कर दिये. दो मिनट के अंदर ही मेरे सामने वो पूरी की पूरी नंगी खड़ी हुई थी. मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी लड़की को इस तरह से नंगी देखा था. जब वो अपने शरीर को पौंछ रही थी तो उसके चूचे उछल रहे थे. उसकी चूत तो बालों के नीचे ढकी हुई थी लेकिन बाकी का बदन देख कर मैं हैरान रह गया था.
मन तो कर रहा था कि अभी बाहर आकर उसके साथ चिपक जाऊं और उसको चोद डालूं. मगर मैं वहीं पर अपने लंड को सहलाने लगा. मुझसे कंट्रोल हो ही नहीं रहा था. जब उसने अपनी भीगी हुई चूत को पौंछने के लिए एक पैर उठा कर चौकी पर रखा तो उसकी चूत के बालों के नीचे मुझे उसकी चूत की फांकें भी दिखाई दे गईं. मन करने लगा कि अभी लंड को इसके अंदर डाल दूं.
खैर, मैं अब उसके कपड़े पहनने का इंतजार करने लगा. उसने अपनी ब्रा और पैंटी को उतारा और अपने जिस्म में फंसा कर पहनने लगी. ब्रा का हुक उससे बंद नहीं हो रहा था. फिर कुछ देर के बाद उसने ब्रा को भी बंद कर लिया.
उसके बाद उसने नीचे झुक कर पैंटी पहननी शुरू की तो मुझे लगा कि जैसे उसने मुझे देख लिया हो लेकिन वो शायद मुझे नहीं देख पाई थी.
फिर उसने अपनी कुर्ती और पजामी उतारी और जब पजामी पहनने के लिए वो नीचे झुकी तो फिर से उसका ध्यान शायद चौकी के नीचे गया लेकिन उसने अनदेखा कर दिया.
सारे कपड़े पहनने के बाद जब वो फर्श पर पड़े हुए अपने गीले कपड़े उठाने लगी तो मैं सरक कर खुद को अच्छी तरह छिपाने की कोशिश करने लगा और इस सुगबुगाहट में उसका ध्यान शायद मेरी तरफ चला गया.
उसने अंदर झांक कर देखा तो मैं उसको पहले तो दिखाई नहीं दिया लेकिन फिर जब उसने ध्यान से अंधेरे में देखा तो मैं उसको दिख गया और वो एकदम से डर गई.
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लेकिन फिर उसने मुझे पहचान लिया. वो मुझे बाहर आने के लिए कहने लगी.
मेरी गांड फट रही थी. घबरा गया था मैं. उसने यहां पर छिपे होने का कारण पूछा तो मैंने बहाना बना दिया कि मैं अपने भाई से झगड़ा करके यहां पर छिपा हुआ था. वो कहने लगी कि तुम्हें इतने बड़े घर में छिपने के लिए और कोई जगह नहीं मिली?
उसको शायद शक हो गया था कि मैं झूठ बोल रहा हूं.
फिर मैंने बता ही दिया कि मैं तुम्हें देखने के लिए यहां पर आया था.
वो कहने लगी- मैं तुम्हारी शिकायत तुम्हारे पापा से करूंगी. तुम नंगी लड़की को ऐसे छिप कर देख रहे थे.
मैंने उससे कहा- ठीक है कर देना.
उसको मैंने अपनी बातों में फंसाने की कोशिश करते हुए कहा कि अगर तुम मेरी शिकायत करोगी तो मैं भी मकान मालिक से तुम्हारी शिकायत कर दूंगा कि तुम घर में क्या क्या करती हो.
इतना कह कर जब मैं रूम से बाहर जाने लगा तो वो मुझे रोकते हुए बोली- अच्छा ठीक है. यह बात किसी और तक नहीं पहुंचनी चाहिए.
अब मैं समझ गया कि वो लाइन पर आ रही है.
फिर वो बोली- तो तुमने यहां पर छिप कर क्या क्या देखा?
मैंने कहा- तुम्हारी जांघों के बीच का घोंसला.
वो बोली- तो फिर और कुछ नहीं देखना है क्या?
मैंने कहा- तुमने मना कर ही दिया तो और क्या देखूं मैं …
वो बोली- जब इतना सब कुछ देख ही लिया है तो फिर जो मन करे वो देख लो लेकिन किसी को बताना मत.
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मैंने इतना सुनते ही उसको अपनी तरफ खींचा और उसके चूचों पर हाथ रख कर उनको जोर-जोर से दबाने लगा. वो जल्दी ही लाइन पर आ गयी और मेरा साथ देने लगी. मैं जोर से उसके चूचों को मसलने लगा. फिर उसने भी मेरी पैंट में हाथ डाल दिया और मेरे पहले से तने हुए लंड को हाथ में पकड़ लिया.
वो बोली- तुम्हारा लंड तो बहुत टाइट और मोटा है.
उसने मेरे लंड को पैंट से बाहर निकाल लिया. बाहर निकालने के बाद उसको ध्यान से देखने लगी.
मैंने कहा- तुमने पहले कभी लंड नहीं देखा है क्या?
वो बोली- नहीं, ऐसा लंड नहीं देखा है.
मैंने कहा- तो फिर इसको अब किस भी कर दो.
मेरे कहने पर उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी. मेरे लंड को प्यार करते हुए वो मजे से मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. वो ऐसे चूस रही थी जैसे मेरा लंड नहीं बल्कि कोई लॉलीपोप हो.
मैंने भी धीरे-धीरे उसके सारे कपड़ों को उतारना शुरू कर दिया. वो अब ब्रा और पैंटी में थी. फिर मैंने उसे उतारने के लिए कहा तो कहने लगी कि खुद ही उतार लो. मैंने अपने हाथों से उसकी ब्रा और पैंटी को उतार कर उसको पूरी नंगी कर दिया.
उसकी चूत के घने बाल मुझे अब मुझे पास से दिखाई दे रहे थे. मैंने कहा- तुम इस घोंसले को अपनी चूत के ऊपर हटाती नहीं हो क्या?
वो बोली- मुझे ये सब करने का टाइम नहीं मिलता है.
मैंने कहा- तो मैं कर देता हूं.
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वो बोली- हां ठीक है कर लेना लेकिन अभी तुम्हें जो करना है वो जल्दी कर लो नहीं तो फिर मकान मालिक मुझे बुलाने लगेगा.
मैंने उसकी चूत के बालों को हटाते हुए उसमें उंगली डाल दी तो वो कराह उठी. उसकी चूत काफी टाइट थी और कुंवारी सी लग रही थी.
मैंने उसकी चूत में उंगली करनी शुरू की तो उसको दर्द होने लगा. फिर थोड़ी देर में मेरी उंगली आराम से उसकी चूत में जाने लगी. वो अब चुदाई के लिए तड़प उठी और कहने लगी- अब चूत में लंड को डालो. उंगली बहुत कर ली.
मैं उसकी चूत में लंड को डालने लगा तो मेरा मोटा लंड उसकी चूत में नहीं जा रहा था.
मैंने कहा- मेरे लंड को एक बार अपने मुंह में लेकर गीला कर दो. वरना ये अंदर नहीं जा पायेगा.
वो मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और पूरा गीला कर दिया.
लंड गीला होने के बाद मैंने फिर से लंड को घुसाने की कोशिश की लेकिन लंड नहीं जा रहा था.
तभी मकान मालिक की आवाज आई और अलग होकर अपने कपड़े पहनने लगी और वहां से जल्दी से बाहर निकल गई.
उस दिन मैं अधूरा रह गया और मुझे मुठ मार कर काम चलाना पड़ा.
मैं रात भर उसकी चूत और चूचियों के बारे में सोचता रहा. मन ही मन काफी अफसोस हो रहा था कि हाथ में आई हुई चूत नहीं मिल पाई.
मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैं उस रात सो नहीं पाया और सुबह का इंतजार करने लगा. आज मैंने तय कर लिया था कि लंड डाल के ही छोडूंगा. सुबह जैसे ही उसके नहाने का टाइम हुआ तो वो खिड़की पर आ गई. मैं समझ गया कि वो चुदाई के लिए बुला रही है. मैं भी चुपके से उसके नहाने वाली जगह पर चला गया और फिर हमेशा की तरह जब वो अंदर आई तो हम दोनों शुरू हो गये.
अचानक सोनाली ने मुझे पूरी तरह से पकड़ लिया और मुझे किस करने लगी. मैं भी जोश में आकर उसको किस करने लगा.
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तभी सोनाली ने मेरे सिर के पीछे से मुझे अपनी पूरी ताकत से अपनी ओर खींच लिया. मैंने भी उसको किस करते हुए दीवार पर टिका दिया. फिर अपना एक हाथ उनकी दोनों जाँघों के बीच उसकी मुलायम नर्म चूत को छूते हुए उसकी गांड की तरफ से निकाल कर उसको दीवार के सहारे ऊँचा कर दिया. इसी पोज में मैं उसको चौकी तरफ ले आया.
दोस्तो, मैं आपको यहां बताता चलूँ कि मुझे यहां रहते हुए दो साल का समय हो चला था और सोनाली से मेरी बात भी बहुत बार हुई थी. वो भी बहुत ही फॉर्मल तरीके से. हमारे बीच सच कहूँ तो सिर्फ चुदाई वाली प्यास थी और चुदाई की चाहत थी, जिससे हम एक दूसरे की आँखों में देख कर महसूस कर लेते थे.
जिसे मैं एक साल से सिर्फ सोचता आया, वो मेरे सपनों की तरह नंगी पूरी जोश में भरी हुई मेरी बांहों में थीं. उस दिन मुझे लग रहा था कि मेरे लंड की नसें जैसे फटने वाली हों. मैंने अपने लंड को, जिसके ऊपर सोनाली की गांड और चूत थी, उसकी चड्डी के ऊपर से ही रगड़ने लगा.
सिर्फ छह-सात बार आगे पीछे करने से मैं बुरी तरह से गर्म हो गया. फिर सोनाली मुझे कहने लगी कि अब जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.
लेकिन मेरा लंड मोटा होने की वजह से चूत में नहीं घुस पा रहा था.
कई बार कोशिश करने के बाद उस दिन भी मेरा लंड सोनाली की चूत में नहीं घुस पाया और हम अधूरे ही रह गये क्योंकि तभी मकान मालकिन ने उसको बुला लिया.
उस दिन के बाद हम दोनों की प्यास बढ़ गई थी. अब हम दोनों ने ही ठान लिया था कि चूत और लंड का मिलन करके ही रहेंगे. फिर उस रात को मैं यही सोचता रहा कि आखिर मेरा लंड सोनाली की चूत में जा क्यों नहीं रहा है.
बहुत सोचा मैंने तो एकदम से मेरा माथा ठनका. मुझे ध्यान आया कि कहीं उसके झांट तो बीच में नहीं आ रहे? ऐसा ख्याल मुझे इसलिए आया क्योंकि जब मैं उसकी चूत में उंगली करता था तो चूत में उंगली आराम से चली जाती थी. मगर जब लंड डालने की कोशिश करता था तो जैसे लंड बीच में ही कहीं अटक जा रहा था.
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मैंने सोनाली की चूत की सफाई करने का सोचा. अगले दिन जब मैं उससे मिला तो मैं रेजर लेकर गया. जब वो नहा कर आई तो मैंने उसको कहा कि मैं तुम्हारी चूत के ऊपर से इस घोंसले को हटा देना चाहता हूं.
वो बोली- नहीं, मुझे डर लगता है. कहीं कट गयी तो?
मैंने कहा- अगर तुम अपने हाथ से करोगी तो कट जायेगी लेकिन मैं करूंगा तो आराम से सफाई कर दूंगा.
पहले तो वो मना करती रही लेकिन फिर मैंने उसको पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूत को अपनी हथेली से सहलाने लगा और वो गर्म होने लगी. फिर वो कहने लगी कि चूत में लंड डालो तो मैंने कहा कि अगर तुम सफाई करने दोगी तो ही मैं डालूंगा.
इस तरह से मैंने उसको मनाया.
मैंने उसकी चूत के बालों पर क्रीम लगा दी और रेजर में ब्लेड लगा कर उसकी चूत के बालों पर हल्के से चलाने लगा. उसकी चूत के बाल काफी मोटे थे. बहुत दिनों से उसने चूत को साफ नहीं किया था. मैंने उसकी चूत से बाल हटाये तो नीचे से चूत फूली हुई लग रही थी.
रेजर के छूते ही वो सिसक पड़ती थी. उसकी चूत को साफ करते हुए मेरा भी बुरा हाल हो रहा था. मेरे लंड ने पानी छोड़ छोड़ कर मेरा अंडरवियर गीला कर दिया था लेकिन उससे बुरा हाल तो उसकी चूत को हो रहा था.
उसकी चूत ने काफी सारा कामरस निकाल दिया था. मैंने उसकी चूत से धीरे-धीरे करके सारे के सारे लम्बे-लम्बे बाल हटा दिये और उसकी चूत एकदम साफ हो गई. साफ होने के बाद मैंने ध्यान से देखा तो वो अंदर से लाल थी लेकिन बाहर से उसकी चूत के होंठ काले थे. खैर मुझे क्या करना था. मैं तो बस उसकी चुदाई करना चाह रहा था.
मैंने सफाई करने के बाद अपनी पैंट निकाली और उसको वहीं नीचे लेटा दिया. उसकी टांगों को पकड़ कर अलग किया और उसने दोनों टांगों को दोनों दिशाओं में फैला दिया. फिर मैंने अपने लंड को उसकी पानी छोड़ रही चूत के मुंह पर फेरा तो वो कामुक हो उठी.
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वो मुझे अपने ऊपर खींचने लगी. मैंने लंड को निकाल कर उसकी चूत पर सेट किया और अपने सुपाड़े को उसकी चूत की फांकों के बीच में लगा कर एक झटका मारा तो लंड उसकी चूत को फैलाता हुआ अंदर घुस गया. मगर अभी पूरा लंड नहीं गया था. मैंने दूसरा झटका मारा तो लंड पूरा घुस गया.
उसकी चूत में मेरा पूरा लंड समा गया. लंड काफी मोटा था लेकिन आज चूत की चिकनाई कुछ ज्यादा ही थी इसलिए लंड फिसलता हुआ चूत में उतर गया. वो एक बार दर्द से छटपटाई, उसकी दर्द भारी सिसकारियाँ निकलने लगी ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ लेकिन फिर नॉर्मल हो गई. फिर मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया. कई दिनों की कोशिश के बाद उसकी चूत में लंड गया था इसलिए मैं भी कु्त्ते की तरह उसकी चूत को गांड हिलाकर चोदने लगा.
दस मिनट तक उसकी चूत को जबरदस्त तरीके से रगड़ा और फिर मैंने उसकी चूत में अपना माल गिरा दिया. मुझे उसका पता नहीं चला कि वो झड़ी या नहीं लेकिन मैंने तो अपना माल छोड़ दिया था.
चुदाई के बाद वो पूछने लगी कि आज लंड कैसे चला गया?
मैंने कहा- मेरा लंड तुम्हारे उस घोंसले में फंस कर रह जाता था.
वो बोली- वो कैसे?
मैंने कहा- जब मैं तुम्हारी चूत की फांकों को हाथ से हटा कर उसमें उंगली करता था तो आराम से उंगली चली जाती थी लेकिन जब मैं उसमें अपना मोटा लंड डालता था तो झांट आपस में उलझ कर लंड को रोक लेते थे. इसलिए आज मैंने जब सफाई करके चूत को चिकनी करके लंड डाला तो लंड सट से अंदर सरक गया.
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उस दिन के बाद वो अपनी चूत को साफ रखने लगी. फिर हमारी चुदाई रोज ही होती थी. मैं उसके चूचों को दबा दबा कर उसकी चूत मारता था. कभी उसको बगीचे में पकड़ लेता था तो कभी पीछे स्टोर रूम में हैंड पंप के पास.
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