हाईवे पर हुआ मेरा बुरफाड़ सम्मलेन

दोंस्तों मैं सुलेखा आपको अपने जीवन की सबसे बड़ी घटना बता रही हूँ। हालांकि ये कोई सुखद घटना नही है पर ये सच्चाई तो जरुर है। मैं उस दिन अपने घर अलीगढ़ से आगरा अपनी स्विफ्ट कार से निकली । मैं नेशनल हाईवे 509 से अपने घर आ रही थी। मैं अलिगढ़ के मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ती थी। मेरे एनुअल एग्जाम खत्म हो गए थे। मैंने अपना सामन पैक कर लिया। मैंने अपने हॉस्टल वाले कमरे पर ताला लगा दिया। अपनी स्विफ्ट कार लेकर मैं बड़ी खुश होकर नेशनल हाईवे पर चल पड़ी।

आज धूप खिली थी। मौसम बड़ा सुहावना था। मैंने अपनी कार का स्टीरियो ऑन कर दिया। मैं नये गाने सुनते हुए मजे से गाड़ी चला रही थी। कुछ दिनों पहले ही मैंने अपनी कार की सर्विसिंग करवाई थी। मेरे कार बिलकुल जहाज सी चल रही थी । बसी सूंदर ड्राइव थे मेरी। मेरी ये यात्रा ढाई घण्टों की थी। पर मैं जिस रफ्तार से 80 90 में गाड़ी चला रही थी उससे लग रहा था मैं ढेड़ घण्टे में ही आगरा पहुँच जाऊंगी। मैं खूब तेजी से गाडी चला रही थी। हाईवे नम्बर 509 पर आज ट्रैफिक भी बहुत कम था। 1 घण्टे बाद मैं हाथरस पहुँच गयी थी। 50 किलोमीटर की दुरी मैंने तय कर ली थी।

हाथरस में एक ढाबे के पास मैंने कार रोकी। गयी और एक कप चाय पी। फिर कार में बैठकर निकल पड़ी। करीब 20 मिनट बाद मैं खुसी खुसी जा रही थी की इतने में मुझे एक कार दिखाई थी। वो बार हाईवे के एक पेड़ से टकरा गई थी। कार के बोनट से धुंआ निकल रहा था। मैंने अपनी गाड़ी रोक दी। मैं बहार निकली। मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि कहीं कार के ड्राइवर का एक्सीडेंट ना हो गया हो। कहीं वो मर ना गया हो। मैं कार की सीट की ओर देखा कोई नही था। कार का बड़ा बुरा एक्सीडेंट हुआ था। आगे से पिचक गयी थी। पूरी तरह चकनाचूर हो गयी थी।

कोई है?? कोई घायल तो नही है!! मैंने आवाज लगायी।
हाथ उपर करो!! उधर कार के सिशे पर दोनों हाथ रखकर खड़ी हो जाओ!  वो बोला।
मैं डर से थर थर कापने लगी। मैंने डर कर दोनों हाथ उठा लिए। मैं पीछे मुड़ी। मैंने देखा वो एक 60 70 साल का बूढ़ा अर्धविक्षिप्त आदमी था। वो देखने से हटा हुआ लगता था। उसके बाल काले थे ,पर दाढ़ी सफ़ेद दी। सायद वो नशे में था। उसके हाथ में एक बड़ी दोनाली बंदूक थी।

हे लड़की!! मैं कहा उधर!!  वो पागल सा बुद्धा मुझ पर चिल्ल्या।
मैं बेहद घबरा गई। मैंने दोनों हाथ ऊपर कर उसकी कार की पास गई। मैंने दोनों हाथ सिशे पर रख आत्मसमर्पण कर दिया।
देखो!! गोली मत चलाना!! प्लीज मुझे मत मारो!! जो चाहो ले लो! मैं उससे मिन्नते करने लगी। मैं थर थर कापने लगी।

वो हमारी बूढ़ा बंदूक मुझ पर ताने मेरे पास आया हा जो मुझे चाहिए वो तो मैं जरूर लूंगा! पागल बूढ़ा बोला। उसने अचानक मेरे सर पर अपनी बंदूक की दुनाली से वॉर किया। मैं बेहोश हो गयी। मुझे चक्कर आ गया। मैं जमीन पर गिर गयी। बूढ़े साफ साफ नही बोल पा रहा था। उसके मुंह से शराब की तीखी बू आ रही थी। बूढ़े लंगड़ाकर चल रहा था। उसने मेरी जीन्स में हाथ डालकर मेरा मोबाइल, पर्स, और कार की चाभिया ले ली।

दोंस्तों मेरी किस्मत इतनी खराब थी की हाइवे पर कोई कार, गाडी वगैरह नही दिख रही थी। मैं बार बार सोच रही थी कास कोई गाडी गुजरे तो मेरी मदद करे। मैं अभी तो उस हरामी के वॉर से अधमरी ही गयी थी। मेरे सिर का एक हिस्सा सुन्न हो गया था। बूढ़ा मेरी कार के पास और कीमती तीज ढूंढने लगा। पर उसे कुछ नही मिला। फिर वो लंगड़ाते हुए मेरे पास आया। मेरी एक तांग पकड़ी और उड़ाकर मुझे एक झाडी की तरह ले जाने लगा। मैं अधमरी थी। वो कमीना मुझे हाईवे से बड़ी दूर जामिन में घसीटने हुए ले गया।

उसने एक एक करके मेरी शर्त की एक एक बटन खोल दी। मेरे मस्त गोल गोल भरे भरे मम्मे दिखने लगा। अब धीरे धीरे मुझे होश आ रहा था। मेरी चेतना अब लौट रही थी। मैं धुंधला धुंधला देख पा रही थी। उसने मेरी दुधभरी छतियों को देखा तो थोड़ा मुसकुरा दिया। मैं सोचने लगी हे राम! मैं किस समस्या में फस गयी हूँ। मैं मन ही मन भोलेशंकर को याद करने लगी। कमीने बूढ़े से मुझे एक जगह समतल ज़मीन पर लिटा दिया। वो मुझे हाईवे से काफी दूर ले आया था।

अब मैं होश में आ गयी थी।
मुझे छोड़ दो!! प्लीज् मुझे जाने दो!! मैं हाथ जोड़ने लगी। रो रोकर मेरा बुरा हाल था। मेरा पूरा चेहरा मेरे आसुंओं से भीग गया था।
ऐ!! चुप साली!! बुद्धा गुर्राया। उसने 2 4 चामाचे मेरे गाल पर जड़ दिए। मैं और जोर जोर से रोने लगी। उस हरामी ने मेरी ब्रा जोर से खींची। ब्रा पीछे से टूट गयी। मैं ऊपर से नँगी हो गयी। बूढ़ा मेरे ऊपर झुका और मेरे मम्मे पीने लगा। मैं रोई जा रही थी। बूढ़े से एक हाथ मेरे मुँह पर रख दिया।

मैं सिसकने लगी। वो मेरे मस्त बड़े बड़े गोल मम्मे पिने लगा। मैं छटपटा रही थी। मेरा गला घूट रहा था। मैं दोनों पैर चलाकर उस कमीने को दूर करना चाहती थी पर बुढ़ा काफी भारी थी। मैं कुछ नही कर पाई। बूढ़ा मजे से मेरी काली निपल्स को चबा चबाकर पीने लगा। मैं सिर्फ रो रही थी। मेरी आवाज बाहर नही जा पा रही थी। फिर उस हरामी ने अपनी बेल्ट निकल के बेल्ट ने मेरे दोनों हाथ कस दिए। अब तो मैं बिलकुल असहाय हो गयी। बूढ़ा फिर से मेरी दोनों मस्त छातियां पीने लगा। बार बार मैं खुद को कोस रही थी की आखिर मैंने उसकी मदद करने की क्यों सोची।

बूढ़े ने अपनी पैंट निकाल दी। उसने अंडरवेयर नही पहना था। उसने मुझे 2 3 चापड़ और मारे। उसने मुझे घुटनों पर बैठा दिया, अपना बहुत से झांटों वाला लण्ड मुझे दे दिया।
ले चूस!! वो बोला और मेरे में लण्ड ठूस दिया।
उसके लण्ड से बहुत बदबू आ रही थी। शराब की बू उसके मुंह से आ रही थी। मैं मन मारकर चूसने लगी। सायद उस हरामी ने महीनो से ना ही नहाया था और ना ही झाँटे बनांई थी। मैं उसका लण्ड चूसने लगी।

धीरे धीरे उस हरामी का लण्ड बड़ा होने लगा। फिर और बड़ा होता गया। फिर कुछ देर बाद दोंस्तों उस हरामी का लण्ड बिलकुल सांड जैसा हो गया। वो जबर्दस्ती मेरे मुँह में अंदर तक ढेलने लगा। मुझे पेलने लगा। मुझे अपने लण्ड से मंजन कराने लगा। मैं मजबूर थी। रोते चीखते मैं उसका लण्ड बेमन से चुस रही थी। उसके लण्ड से बड़ी बू आ रही थी। मेरे दोनों हाथ उस हरामी ने अपनी चमड़े की बेल्ट से बांध दिए थे। मैं हाईवे पर जाते हुए कारों को देख रही थी। बूढ़ा मुझे इतनी दूर ले आया था कि मेरी पुकार अब कोई नही सुन सकता था।

दोंस्तों बड़ी देर तक उस मादरचोद से मुझे अपना बदबूदार लेकिन बड़ा मोटा सा लण्ड चुस्वाया। उसकी बहुत सी झाँटे टूट कर मेरे मुँह और चेहरे पर चिपक गयी। ये दिन सायद मेरी लाइफ का सबसे बुरा और डरावना दिन था। फिर उसने मेरी जीन्स निकाल दी। मेरी नीली रंग की पैंटी भी निकाल दी। उसने मेरी दोनों टांगे फैला दी। मैं बेहद डर गई थी। मैं जान गई थी की अब वो मेरा बलात्कार करेगा। मैं जान गई थी की अब वो मुझे चोदेगा। मैं बचाओ बचाओ चिल्लाने लगी। उसने मेरी शर्ट ही मेरे मुँह में बांध दी। अब मेरी चीख बाहर नही जा रही थी।

बूढे आकर मेरी गदरायी बुर चाटने लगा। जब मैं इधर उधर पैर चलाने लगी तो उसने पास पड़ीं एक कांटेदार लड़की उठा ली और मेरी चिकनी नँगी गोरी जंघों पर सट से मार दी। उस बाबुल की कांटेदार लड़की से मेरे पैर में खून निकलने लगा। मैं जान गई की जादा विरोध् करुँगी, तो वो मुझे अपनी बंदूक से गोली भी मार सकता है। मैं खामोश हो गयी। मैंने अब कोई विरोध् नही किया। बूढ़ा अपने पान मसालेदार दांतों और जीभ से मेरी बेहद नाजुक बुर चाटने लगा। उसकी जीभ से पान मसाले का तेज स्वाद मेरी बुर में आ गया। फिर मेरी बुर से वो मेरे मुँह में आ गया।

बूढ़ा मेरी लपलपी मस्त रसीली बुर पर टूट पड़ा।
अच्छी चूत! अच्छी चुट!! वो हल्का सर उठाकर हँसा , फिर से मेरी बुर चाटने लगा। मेरे दोनों हाथ उनकी चमड़े वाली बेल्ट से बंधे हुए थे, मेरे मुँह मेरी शर्ट से बंधा था। फिर बूढ़े से अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और पकापक मुझे चोदने लगा। इससे पहले मेरे अलीगढ़ यूनिवर्सिटी वाले बॉयफ्रेंड ने मुझे कई बार ठोका था, पर उसका लौड़ा भी इतना बड़ा नही था। बूढ़ा बिना मेरी कोई परवाह किये मुझे पकापक चोदे जा रहा था। मेरी नँगी गोरी जांघ से खून कह रहा था। मैं आज के दिन को बार बार कोस रही थी की मैंने आगरा जाने के लिए कोई बस क्यों नही पकड़ ली।

बड़ी देर बुड्ढे ने मेरी चूत फाड़ी। फिर अचानक से उसी प्यास लगी। वो मुझे छोड़कर अपनी कार की तरह चला गया। मैंने सोचा की यही मौका है भाग लो। बुढ़ा पानी की बोतल लाने चला गया। मैं उठी और दूर दौड़ने लगी। तभी अचानक जहाँ मेरे पैर से खून निकल रहा था वहां बड़ी जोर दर्द उठा। मैं एक गड्ढे में गिर गई। फिर भी मैं लगातार तांग घिसट घिसट कर चल रही थी। बूढ़े से जान बचाकर भागने की कोसिस कर रही थी। मैं बड़ी दूर तक भाग गई। तभी इतने में वो हरामी बूढ़ा आ गया। वो शिकारी की तरह मुझे खोजने लगा। वो जल्दी जल्दी इधर उधर दौड़ कर मुझे धुंध रहा था। मैं फिर से जमीन पर तांग लड़खड़ाकर रेंग रही थी।

इतने में वो कमीना आ गया। उसने मेरी बालों से मुझे पकड़ लिया और 2 3 लात मेरे पेट में जमा दी। मैं पागल हो गयी थी।
तू क्या समझी भाग जाएगी?? मेरा शिकार मुझसे भाग नही सकता है! वो चिल्लाया।
उसने गैस पर मुझे फिर से खींच लिया। सूरज निकला हुआ था। धुप की रौशनी में वो फिर से मुझे चोदने लगा। मैं फिर से लाचार थी। बूढ़े धुप की रौशनी में हाईवे से दूर मुझे गचागच चोदे जा रहा था। उसने पानी की बोतल वहीँ पास में घास पर रख दी थी। वो मेरी बुर फाड़ता था, बोतल का ढक्कन खोलकर पानी पीता था। ढक्कन बन्द करता था और मुझे पेलता जाता था।

फिर उसने मुझे सुखी घास पर ही कुतिया बना दिए। वो हरामी तो मेरे पैर भी बांध देता पर मुझे तब वो चोद नही पाता। सायद तभी उसने मेरे पैर नही बांधे। उसने ना जाने कहाँ से एक रबर का लण्ड निकाला और पेल दिया मेरी चूत में। मैं अपने दोनों हाथों पर नँगी कुतिया बनी थी। बुढ़ा रबर के लण्ड से मेरी चूत को जल्दी जल्दी चोदने लगा। मैं सिसक गयी। फिर उसने वो रबर का लण्ड मेरी गाण्ड में पेल दिया और मेरी गाण्ड चोदने लगा। मेरी तो माँ ही चुद गयी। फिर वो मादरचोद बूढ़ा पता नही कहाँ से एक चमड़े की पतली पेटी ले आया। एक हाथ से मेरी गाण्ड चोद रहा था, वहीँ दूसरे हाथों से मेरे दोनों गोल पूट्ठों पर सट सट वो चमड़े की पेटी मारने लगा। वहां पड़ती लाल लाल लाइन बन जाती।

मेरी तो गाण्ड ही फट गई। मैं मन ही मन उसे माँ बहन की गाली देने लगी। फिर वो हरामी मेरे पीछे आया। मेरी गाण्ड में उसने अपना सांड़े जैसा लण्ड लगाया और मजे से मेरी गाण्ड चोदने लगा। बिच बीच में वो अपने चमड़े वाले हंटर से मेरे दोनों बेहद गोल नर्म चुत्तड़ो पर सट सट मार देता। बड़ा दर्द होता गया दोंस्तों। जहाँ हंटर पड़ता था लाल हो जाता था। बूढ़ा निर्ममता से मेरी गाण्ड चोदे जा रहा था। मेरी गाण्ड से खून भी निकल रहा था। वो मेरी गाण्ड लगातार चोदे जा रहा था। फिर उसने मेरी चूत में वो रबर वाला लण्ड पेल दिया और जल्दी जल्दी चलाने लगा। फिर उधर दूसरी तरफ से मेरी गांड़ भी चोदने लगा। अब मुझे दोनों छेदों में दर्द आने लगा, वो मुझे बिना रुके पेलता गया।

दोंस्तों , उस हरामी बुड्ढे से मुझे 4 5 घण्टे घण्टे वही झाड़ी के किनारे पेला। फिर मेरी कार, मोबाइल, मेरा पर्स, मेरी कार लेकर वो हरामी भाग गया। मैं नँगी रोती रोती लड़खड़ाकर हाईवे no 509 तक आयी। मैंने देखकर एक गाड़ी रुके। वो हस्बैंड वाइफ आगरा जा रहे थे। उसकी वाइफ ने मुझे नँगे देखा तो शॉक हो गयी। उसने अपनी जैकेट मुझे उढा दी। मुझे अपनी कार में बिठाया। मुझे पानी पिलाया। मेरे शरीर से जगह जगह खून निकल रहा था। उस औरत ने फर्स्ट एड किट निकाली और रुई से मेरे जख्म पर दवा लगाने लगी। मैंने अपनी पूरी दुर्घटना की कहानी उन पति पत्नी को सुनाई।

सच में दोंस्तों, वो आगरे की हाईवे मेरी जिंदगी की सबसे भयावह कार यात्रा बन गयी थी।

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